घास

तुम भूलना चाहो मुझे, बेशक़ भूल जाओ,
दिल मे जो एहसास रहेगा, वहाँ मैं रहूंगी,

होंगे बहुत नाम जाने पहचाने तुम्हारे इर्द गिर्द,
रात अंधेरे जब कोई ना देखे, ज़ुबान पे रहूंगी,

लब भीगे होंगे तुम्हारे अक्सर कितने ही जामों से,
एक अरसे बाद भी मिठास सी, लबों पे मिलूंगी,

आँखो मे आई होगी नमी भी और खुशी भी,
आईने मे देखना, आँखो की लकीरो मे दिखूँगी,

तुम सजा लेना दिल का आँगन रंगीन फूलों से,
हक़ मेरा ही होगा कल भी, घास जो मैं रहूंगी.

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