बात निकलेगी जो कलम से, नाम तेरा कैसे छुपाएँगे,
जो हुआ अच्छा हुआ, सच कहो ये कैसे ना कह पाएँगे,
मुश्किले थी रास्ते मे तो क्या, साथ चलते तो आसान हो जाती,
मंज़िल थोड़ी दूर थी तो क्या, एक एक कदम कर पास हो जाती,
तुमने बदल लिया रास्ता भी और हमसफ़र भी, हम तन्हा चले जाएँगे,
जो हुआ अच्छा हुआ, सच कहो ये कैसे ना कह पाएँगे,
दुनिया अक्सर रंग बदलती है, तुम भी उसी का हिस्सा हो,
अब कौन याद करे तुम्हे, तुम अब पुराना किस्सा हो,
देखेंगे नही तुम्हे पीछे मुड़ के, हम आगे चलते जाएँगे,
जो हुआ अच्छा हुआ, सच कहो ये कैसे ना कह पाएँगे,
ज़ालिम है इंसान तो क्या, इस जहाँ का भी रहबर कोई है,
तुम शायद मेरी किस्मत ना थे, पर तुमसे बेहतर कोई है,
सुन लेने दो उसे दिल की धड़कन, हम गीत नया गुनगुनाएँगे,
जो हुआ अच्छा हुआ, सच कहो ये कैसे ना कह पाएँगे.
लाजवाब रचना
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Very nice
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Thank you 🙂
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